अयन दे, कोचबिहार: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सख्त निर्देश के बाद अवैध रेत तस्करी (Illegal Sand Smuggling) के खिलाफ भू-राजस्व विभाग सक्रिय हो गया है। शुक्रवार तड़के साढ़े चार बजे कोचबिहार के माथाभंगा 1 नंबर ब्लॉक में छापेमारी कर विभाग के अधिकारियों ने पांच अवैध रेत से लदे डंपरों को जब्त किया। जब्त किए गए वाहनों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं थे, जिससे तस्करी का मामला स्पष्ट हो गया है।
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सूत्रों के अनुसार, मेखलीगंज के नया बंदर क्षेत्र में जलढाका और सुतूंगा नदियों से अवैध रूप से रेत का खनन कर गुप्त रूप से तस्करी की जा रही थी। अत्यधिक मात्रा में रेत के परिवहन से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। हालांकि इस छापेमारी में डंपरों को पकड़ा गया, लेकिन नदियों से रेत खनन के स्रोतों को बंद न करने पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रशासन के एक वर्ग के संरक्षण में ही यह अवैध कारोबार लंबे समय से चल रहा है।
हाल ही में पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे रेत खनन और अधिक खतरनाक हो गया है। गुरुवार को डायना नदी में तेज धारा में बहने से दो लोगों की मौत हो गई। इस स्थिति में भी अवैध और खतरनाक रेत खनन कैसे जारी है, इसे लेकर स्थानीय लोग और विपक्षी दल आक्रोश जता रहे हैं। उनका कहना है कि नदियों के किनारे क्षरण हो रहा है, जो पर्यावरण और कृषि के लिए गंभीर खतरा है।
विपक्षी नेता विश्वजीत दास ने आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री बार-बार अवैध तस्करी रोकने का निर्देश देती हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण रेत माफिया बेलगाम हो गए हैं।” उन्होंने कहा, “नदियों से रेत खनन के मुख्य चक्र को तोड़े बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।”
प्रशासन ने बताया कि जब्त डंपरों के चालकों से पूछताछ जारी है और तस्करी चक्र में शामिल लोगों की पहचान के लिए जांच शुरू हो गई है। भू-राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हम मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि नदियों से अवैध रेत खनन रोकने के लिए निगरानी बढ़ाई जाएगी और चेकपोस्ट स्थापित करने की योजना है।
इस घटना पर स्थानीय लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कुछ ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया, लेकिन कई का मानना है कि जब तक खनन के स्रोत पर रोक नहीं लगती, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन से और सख्त कदम उठाने की मांग हो रही है।