Women Hajj Pilgrims: भारत में जब बात सरकारी सेवाओं की आती है, तो अक्सर शिकायतों की झड़ी लग जाती है। चाहे रेलवे हो, अमरनाथ यात्रा या फिर हज यात्रा—व्यवस्था को लेकर सवाल उठते ही हैं। लेकिन इस बार हज से लौट रही मुस्लिम महिलाओं के अनुभवों ने यह धारा ही बदल दी। उन्होंने जो कुछ कहा, वो देश के लिए गर्व की बात।
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एक महिला हाजी ने कहा, “मैं बहुत खुश हूं। सरकार की व्यवस्था बहुत अच्छी थी। हमें कोई परेशानी नहीं हुई। हर कदम पर सहयोग मिला।”
इस बार का विशेष पहलू था कि 51 महिलाएं बिना महरम (पुरुष संरक्षक) के हज यात्रा पर गई थीं। यह महिलाओं की आजादी और साहस का बड़ा उदाहरण बन गया है।
दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने कहा, “हमारी 51 बहनें बिना महरम के हज यात्रा पूरी कर आज लौट आई हैं। हम उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पर पहुंचे हैं। यह महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण है। हमारे प्रधानमंत्री का हमेशा से मिशन रहा है कि महिलाएं मजबूत बनें और सरकार उन्हें हर स्तर पर समर्थन दे रही है। इसी कारण हर साल ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।”
सालमा नाम की एक महिला हज यात्री ने कहा, “हज करना मेरा सपना था जो अल्लाह ने बहुत कम उम्र में पूरा किया। भारत और सऊदी सरकार की तरफ से बढ़िया व्यवस्था की गई थी। किसी भी तरह की समस्या नहीं हुई। मैं सरकार की शुक्रगुज़ार हूं।”
महिलाओं ने बताया कि इस बार की हज यात्रा न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से सफल रही, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें बहुत आत्मविश्वास मिला। साफ-सफाई, चिकित्सा, भोजन और मार्गदर्शन की व्यवस्था समय पर और उपयुक्त थी।
हज से लौटी महिलाएं अब दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं, खासकर उन महिलाओं को जो यह सोचती थीं कि वे अकेले या बिना पुरुष साथ के इस यात्रा को नहीं कर सकतीं।
इस बार की हज यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति बनकर उभरी है—जहां महिलाएं बिना किसी बंधन के आगे बढ़ रही हैं, और सरकार उनके साथ कदम से कदम मिला रही है।