2026 से भारत में सभी टू-व्हीलर्स पर ABS अनिवार्य, सड़क सुरक्षा के लिए सरकार का बड़ा कदम

भारत में टू-व्हीलर्स के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब सभी टू-व्हीलर्स, यानी मोटरसाइकिल और स्कूटर, में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS)…

ABS to Be Mandatory on All Two-Wheelers in India from 2026

भारत में टू-व्हीलर्स के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब सभी टू-व्हीलर्स, यानी मोटरसाइकिल और स्कूटर, में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) अनिवार्य होगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल 2026 से देश में बिकने वाले सभी नए टू-व्हीलर्स में ABS अनिवार्य होगा।

वर्तमान में 125cc से अधिक इंजन क्षमता वाले टू-व्हीलर्स के लिए ABS अनिवार्य है, लेकिन अब यह नियम सभी इंजन क्षमता वाले वाहनों पर लागू होगा। यह फैसला सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और राइडर्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
 
मौजूदा टू-व्हीलर्स के लिए नियम
 
सरकार ने न केवल नए टू-व्हीलर्स के लिए, बल्कि मौजूदा मॉडलों के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। कंपनियों को 1 अक्टूबर 2026 तक का समय दिया गया है ताकि वे अपने पुराने मॉडलों को ABS तकनीक के साथ अपडेट कर सकें। वर्तमान में 125cc से कम क्षमता वाले टू-व्हीलर्स में कॉम्बी ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) का उपयोग होता है, जो आगे और पीछे के ब्रेक को एक साथ लागू कर संतुलन बनाए रखता है।
 
कीमत पर प्रभाव
 
इस नए नियम के लागू होने से टू-व्हीलर्स की कीमतों में कुछ वृद्धि होने की उम्मीद है। खासकर एंट्री-लेवल बाइक्स में, जहां अभी ABS तकनीक नहीं है, वहां कीमतें ₹5,000 से ₹7,000 तक बढ़ सकती हैं। हालांकि, इससे बाइक चलाने की सुरक्षा, विशेष रूप से नए राइडर्स के लिए, काफी बढ़ जाएगी।
 
ABS कैसे काम करता है

 

ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) एक ऐसी तकनीक है जो आपात स्थिति में अचानक ब्रेक लगाने पर पहियों के लॉक होने को रोकती है। यह ब्रेक को बार-बार दबाने और छोड़ने की प्रक्रिया करता है, जिससे पहिए लॉक नहीं होते और राइडर का नियंत्रण बना रहता है। यह तकनीक खासकर गीली या फिसलन वाली सड़कों पर अधिक प्रभावी है। ज्यादातर बाइक्स में सिंगल-चैनल ABS होता है, जो केवल आगे के पहिए पर काम करता है, जबकि बड़े इंजन वाली बाइक्स में डुअल-चैनल ABS होता है, जो दोनों पहियों पर काम करता है।

भारत में हर साल होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 44% टू-व्हीलर से संबंधित होती हैं। देश में बिकने वाले कुल टू-व्हीलर्स में से लगभग 45% 125cc से कम क्षमता वाले हैं। आंकड़ों के अनुसार, ABS तकनीक दुर्घटना की संभावना को 35-40% तक कम कर सकती है। इसलिए, सरकार का यह फैसला लंबे समय में सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसके साथ ही, सरकार नए टू-व्हीलर खरीद के समय दो BIS-सर्टिफाइड हेलमेट अनिवार्य करने पर भी विचार कर रही है। यह नियम राइडर के साथ-साथ पीछे बैठने वाले व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
 
MoRTH की व्यापक सड़क सुरक्षा रणनीति के तहत, न केवल टू-व्हीलर्स, बल्कि पैसेंजर वाहनों में भी एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) अनिवार्य किया जा रहा है। इसमें एडवांस्ड इमरजेंसी ब्रेकिंग, ड्राइवर ड्राउजिनेस डिटेक्शन, और लेन डिपार्चर वॉर्निंग जैसी आधुनिक सुरक्षा तकनीकें शामिल होंगी।
 
सरकार के इन लगातार प्रयासों से भविष्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने और भारत के सड़क सुरक्षा मानचित्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है। यह कदम न केवल राइडर्स की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि देश में सड़क सुरक्षा के मानकों को भी ऊंचा उठाएगा।