बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से राज्यभर में चुनावी आचार संहिता को सख्ती से लागू करने के लिए सुरक्षा बलों और प्रवर्तन एजेंसियों ने सक्रियता बढ़ा दी है। अधिकारियों के मुताबिक, 6 अक्टूबर से लेकर अब तक बिहार में 64.13 करोड़ रुपये मूल्य की अवैध शराब, नकदी, मादक पदार्थ और चुनावी उपहार जब्त किए गए हैं। इस बीच, 753 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है, और 13,587 नॉन-बेलेबल वारंटों को भी लागू किया गया है।
इन जब्त किए गए सामग्रियों में सबसे बड़ी मात्रा में शराब शामिल है, जिसका मूल्य 23.41 करोड़ रुपये है। बिहार एक शुष्क राज्य है, जहां शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है, और चुनावी समय में शराब की तस्करी को लेकर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, 14 करोड़ रुपये के चुनावी उपहार, 16.88 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ (नशीली दवाइयां और साइकोट्रॉपिक पदार्थ) और 4.19 करोड़ रुपये की नगद राशि भी जब्त की गई है।
निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने पहले ही कई प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देशित किया है कि वे चुनावों में धनबल के प्रयोग को रोकने के लिए अपनी निगरानी को और सख्त करें। इस दिशा में राज्य पुलिस, उत्पाद विभाग (Excise), आयकर विभाग, कस्टम्स, राजस्व खुफिया एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय जैसी संस्थाओं को अपने प्रयास तेज करने का आदेश दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि विशेष रूप से “फ्लाइंग स्क्वाड”, “सर्विलांस टीमें” और “वीडियो सर्विलांस टीम” लगातार 24 घंटे राज्य के विभिन्न इलाकों में काम कर रही हैं। इन टीमों का उद्देश्य वोटरों को प्रभावित करने के प्रयासों पर नजर रखना है।
चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष रखने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए हैं। प्रवर्तन कार्यवाही में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी नागरिक को निरीक्षण या चेकिंग के दौरान असुविधा का सामना न करना पड़े। अधिकारियों का कहना है कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जनता के अधिकारों की रक्षा करते हुए किसी प्रकार की अवैध गतिविधि को रोका जा सके।
बिहार में पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के बीच एक मजबूत समन्वय देखा जा रहा है। राज्यभर में 753 लोगों की गिरफ्तारी और 13,587 नॉन-बेलेबल वारंटों के कार्यान्वयन से यह स्पष्ट है कि चुनाव प्रक्रिया में कोई भी असामाजिक तत्व चुनावी निष्पक्षता को बाधित नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने इन सभी कार्रवाइयों को चुनावी नतीजों के निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
राज्य सरकार द्वारा इन अवैध गतिविधियों के खिलाफ उठाए गए कदमों से यह साबित होता है कि सरकार और चुनाव आयोग दोनों ही बिहार में चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, इसके साथ ही अधिकारियों ने यह भी अपील की है कि आम नागरिकों को भी इस पूरी प्रक्रिया में सहयोग देना चाहिए, ताकि चुनावी माहौल शांति से बना रहे और किसी प्रकार की अवैध गतिविधियां सामने न आएं। प्रकार के अवैध प्रभाव को रोकने में मदद मिल रही है, जिससे बिहार में एक निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव का माहौल बनेगा।