Mamata Banerjee: मुख्यमंत्री के उद्घाटन के चार साल बाद भी फूलबाजार नहीं खुला

फूल मार्केट बनाई गई, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इसका वर्चुअल उद्घाटन भी किया, लेकिन आज भी वह बाजार चालू नहीं हो सका। 6…

Mamata Banerjee Flower Market in Debra Lies Unused 4 Years After Inauguration

फूल मार्केट बनाई गई, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इसका वर्चुअल उद्घाटन भी किया, लेकिन आज भी वह बाजार चालू नहीं हो सका। 6 अक्टूबर 2020 को पश्चिम मिदनापुर जिले के डेबरा के रघुनाथपुर में फूल मार्केट और स्टोर रूम का वर्चुअल उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था। लेकिन आज चार साल बाद भी वह बाजार अब तक शुरू नहीं हो पाया है।

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डेबरा ब्लॉक के फूल उत्पादकों और व्यापारियों की सुविधा के लिए एक फूल बाजार बनाने की योजना बनाई गई थी। सरकार का कहना था कि अगर यह बाजार शुरू होता, तो यहां के फूल उत्पादक अन्य जगहों से फूल लाने की बजाय सीधे डेबरा में व्यापार कर सकते थे। इस प्रकार, उनके व्यापार में वृद्धि होती और स्थानीय फूल उत्पादकों को भी अपना उत्पाद सीधे बाजार में बेचने का अवसर मिलता। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

डेबरा ब्लॉक के एक छोर पर दासपुर और दूसरे छोर पर पूर्व मिदनापुर जिले के पांस्कुड़ा में फूल की खेती होती है। वहां फूलों का काफी उत्पादन होता है और स्थानीय व्यापारी इस बाजार की आवश्यकता महसूस कर रहे थे। सरकार ने इस उद्देश्य के लिए फूल बाजार बनाने की योजना बनाई और इसके लिए लगभग 61 लाख रुपये आवंटित किए। उसी पैसे से 2020 में 11 स्थायी दुकानें, तीन शेड और एक गोदाम बनाने का काम किया गया था।

शेड में सैकड़ों खुदरा विक्रेताओं को फूल बेचने का अवसर देने की योजना थी। एक ओर जहां फूल व्यापार का विकास होता, वहीं दूसरी ओर रोजगार भी बढ़ता। लेकिन यह योजना आज तक पूरी तरह से लागू नहीं हो सकी। शेड में फूल बेचने की योजना तो थी, लेकिन बाजार अब तक चालू नहीं हो पाया है। यहां तक कि, गोदाम भी खाली पड़ा है।

लाखों रुपये का बर्बादी, विपक्ष के सवाल

विपक्ष का आरोप है कि यह एक गलत योजना का परिणाम है और यह परियोजना कभी भी सफल नहीं हो सकती। उनका कहना है कि लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। यह फूल बाजार का प्रोजेक्ट भले ही क्षेत्र की जरूरत के हिसाब से था, लेकिन जो राशि खर्च की गई थी, वह पूरी तरह से व्यर्थ नजर आ रही है।

फूल उत्पादक और व्यापारी सरकार की इस उदासीनता से निराश हैं। उनका कहना है कि वे लंबे समय से इस परियोजना के लाभ का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम न उठाने के कारण अब वे निराश हो गए हैं।

भविष्य क्या है?

इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए सरकार को फिर से एक नई योजना बनानी होगी और फूल बाजार को प्रभावी रूप से लागू करना होगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार किस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रही है, जो इस परियोजना को कार्यान्वित नहीं कर पा रही है। अगर सरकार जल्दी से कोई ठोस कदम उठाती है, तो हो सकता है फूल बाजार चालू हो जाए। लेकिन अगर यह इस तरह से खाली पड़ा रहता है, तो यह एक बड़ा उदाहरण बनेगा कि कैसे सही योजना और कार्यान्वयन के अभाव में लाखों रुपये बर्बाद हो गए।