भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर (Former RBI Governor Urjit Patel) नियुक्त किया गया है। वह इस पद पर तीन वर्षों तक कार्यरत रहेंगे। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस नियुक्ति से वैश्विक मंच पर भारत की आवाज और भी प्रखर होगी।
उर्जित पटेल 2016 से 2018 तक RBI के गवर्नर रहे। उनके कार्यकाल के दौरान नोटबंदी जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालना पड़ा। उन्होंने महंगाई नियंत्रण, मौद्रिक नीति में पारदर्शिता और केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता (Former RBI Governor Urjit Patel) बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए। गवर्नर बनने से पहले वे RBI के डिप्टी गवर्नर भी रह चुके थे और मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की स्थापना में उनका बड़ा योगदान था।
आज वैश्विक अर्थव्यवस्था कई संकटों से जूझ रही है—महंगाई, भू-राजनीतिक तनाव, व्यापारिक असंतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ सामने हैं। ऐसे समय में एक अनुभवी और व्यवहारिक अर्थशास्त्री के रूप में उर्जित पटेल की भूमिका IMF की नीतियों को आकार देने में अहम साबित होगी।
भारत के दृष्टिकोण से भी यह नियुक्ति बेहद महत्वपूर्ण है। भारत इस समय दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। IMF के बोर्ड में पटेल की मौजूदगी भारत की विकास रणनीति और नीतिगत दृष्टिकोण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने में सहायक होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि पटेल की नियुक्ति न केवल भारत बल्कि पूरे विकासशील विश्व के लिए शुभ संकेत है। वह उन आर्थिक समस्याओं को उजागर करेंगे जिनसे उभरते बाजार और गरीब देश जूझ रहे हैं, ताकि IMF की नीतियों में उनका समाधान भी प्राथमिकता पा सके।