सुपर्णा परुई: वर्तमान में बाजार में नित-प्रतिदिन की आवश्यक सब्जियों की कीमतें (Vegetable Prices ) आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। छोटे-बड़े सभी प्रकार की सब्जियों की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि ने विशेष रूप से मध्यवर्ग और निम्नवर्ग के लोगों के लिए जीना मुश्किल कर दिया है। रोजमर्रा के बाजार में एक किलो भी बुनियादी सब्जी खरीदने से खर्च कई गुना बढ़ जाता है, जिससे घर का बजट बिगड़ता जा रहा है। इसके साथ ही महंगाई के इस दौर में घर की महिलाएं, जो खाना बनाने का मुख्य कार्य करती हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी कठिन हो गई है।
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आजकल, टमाटर की कीमत भी आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई है। जहां पहले यह 18 से 20 रुपये किलो मिलता था, वहीं अब इसका मूल्य 22 रुपये से लेकर 30 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है। टमाटर की बढ़ी हुई कीमतों ने रसोई में इसका उपयोग कम कर दिया है, क्योंकि अब इसे खरीदना बहुत ही महंगा पड़ रहा है। यह स्थिति सिर्फ टमाटर तक सीमित नहीं है, बल्कि कच्ची मिर्च (हरी मिर्च) की कीमतों ने भी सबको हैरान कर दिया है। पहले जहां कच्ची मिर्च की कीमत 45 रुपये प्रति किलो थी, वहीं अब यह 54 रुपये से लेकर 74 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। किचन में हर दिन इस्तेमाल होने वाली कच्ची मिर्च की कीमत में इतनी वृद्धि ने घर की महिलाओं को खासा परेशान किया है।
साथ ही, बीट रूट, जिसे सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद माना जाता है, उसकी कीमत में भी जोरदार उछाल देखा गया है। पहले बीट रूट का न्यूनतम मूल्य 31 रुपये किलो था, लेकिन अब यह बढ़कर 51 रुपये किलो तक पहुंच चुका है। बीट रूट का इस्तेमाल सलाद, सूप और अन्य विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है, और इस स्थिति में लोग इसे खरीदने से बचने लगे हैं, जिससे इसका सेवन भी कम हो गया है।
इसके अलावा, आलू की कीमतों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। आलू, जो लगभग हर घर में किसी न किसी रूप में रोजाना इस्तेमाल होता है, उसकी कीमत 26 रुपये से बढ़कर 43 रुपये तक पहुंच गई है। आलू का बढ़ा हुआ मूल्य सीधे तौर पर आम परिवारों के खाने के बजट पर असर डाल रहा है। अब आलू खरीदना भी बहुत महंगा हो गया है, और इसके कारण कई लोग अपनी डाइट में आलू का उपयोग कम कर रहे हैं।
इसी प्रकार, कच्ची केला (कच्चा केला), जो विशेष रूप से चिप्स बनाने के लिए और कई अन्य भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल होता है, उसकी कीमत भी बढ़ गई है। पहले कच्चा केला 10 रुपये प्रति किलो मिलता था, लेकिन अब इसकी कीमत 17 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। इस बढ़ी हुई कीमत ने उन लोगों के लिए परेशानी बढ़ा दी है, जो कच्चे केले का नियमित रूप से सेवन करते हैं।
सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने न केवल मध्यम वर्ग बल्कि निम्न वर्ग के लोगों के लिए भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं। जब रसोई में आवश्यक चीजें महंगी हो जाती हैं, तो परिवारों को अपनी दिनचर्या में बदलाव करना पड़ता है। अब लोग सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं या फिर कुछ सब्जियों का इस्तेमाल कम कर रहे हैं। इस महंगाई ने आम जनता की जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डाला है, और इसका असर उनके स्वास्थ्य, पोषण और मानसिक स्थिति पर भी देखा जा सकता है।
सरकार और संबंधित प्राधिकरणों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए जल्द कदम उठाएंगे, ताकि बाजार में कीमतों का नियंत्रण हो सके और आम आदमी को राहत मिल सके। सब्जियों की कीमतों में इस तरह की वृद्धि से न केवल रसोई का बजट बढ़ रहा है, बल्कि इसके कारण खाने-पीने के साथ-साथ आम जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।