भारतीय विज्ञापन जगत में आज एक बड़े सितारे ने हमें अलविदा कहा। फेविकॉल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे आइकॉनिक विज्ञापनों के पीछे की सोच रखने वाले पियूष पांडे का शुक्रवार को निधन हो गया। पांडे 70 वर्ष के थे और लंबे समय से संक्रमण से जूझ रहे थे। उनके अंतिम संस्कार का आयोजन मुंबई के शिवाजी पार्क में सुबह 11 बजे किया जाएगा।
पियूष पांडे ने अपने नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया को 12 वर्षों तक शीर्ष एजेंसी के रूप में स्थापित किया। यह रैंकिंग ‘एजेंसी रेकॉनर’ के माध्यम से दी गई थी, जो कि द इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा की जाने वाली स्वतंत्र सर्वेक्षण रिपोर्ट है। उनके करियर और उपलब्धियों ने भारतीय विज्ञापन उद्योग में एक नया आयाम स्थापित किया।
पांडे को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें 2016 में उन्हें पद्म श्री से भी नवाजा गया। पांडे ने विज्ञापन के क्षेत्र के अलावा अभिनय की ओर भी कदम बढ़ाया। वह 2013 में आई जॉन अब्राहम की फिल्म “मद्रास कैफे” में दिखाई दिए और ICICI बैंक के मैजिक पेंसिल प्रोजेक्ट वीडियो में भी काम किया।
सिर्फ विज्ञापन ही नहीं, पांडे ने संगीत और सिनेमा में भी अपनी प्रतिभा दिखाई। उन्होंने प्रसिद्ध गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के गीतकार के रूप में राष्ट्रीय एकता और विविधता में एकता को बढ़ावा दिया। इसके अलावा उन्होंने फिल्म भोपाल एक्सप्रेस की पटकथा लिखने में भी योगदान दिया।
उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध विज्ञापनों में फेविकॉल, कैडबरी, एशियन पेंट्स, लूना मोपेड, फॉर्च्यून ऑइल और कई अन्य ब्रांड शामिल हैं। पांडे की रचनात्मक सोच ने न केवल उत्पादों की बिक्री बढ़ाई, बल्कि भारतीय विज्ञापन की भाषा और शैली को भी नए स्तर पर पहुँचाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि पियूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन जगत को केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी समृद्ध किया। उनके काम ने ब्रांडिंग और क्रिएटिविटी के क्षेत्र में कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत प्रदान किया।
पांडे का जाना केवल विज्ञापन उद्योग के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा, संगीत और संस्कृति के लिए भी एक बड़ा नुकसान है। उनके बनाए गए विज्ञापन आज भी लोगों के दिलों और दिमाग में जिंदा हैं। उनकी रचनात्मकता, सोच और विज़न भारतीय विज्ञापन जगत में हमेशा याद किए जाएंगे।
संक्षेप में, पियूष पांडे न केवल एक विज्ञापन निर्माता थे, बल्कि एक ऐसे रचनात्मक विचारक थे जिन्होंने अपने काम के माध्यम से भारतीय ब्रांड्स और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनके योगदान और विरासत को हमेशा सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाएगा।
