भारत के सामने एक बड़ी चुनौती नक्सलवाद है, जो देश के कई हिस्सों में विकास को बाधित कर रहा है। लंबे समय से नक्सलवाद ने देश की सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता को प्रभावित किया है। ऐसे में मोदी सरकार ने इस समस्या को सिरे से खत्म करने का संकल्प लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि मोदी सरकार मार्च तक भारत से नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त कर देगी।
अमित शाह ने कहा, “नक्सलवाद हमारे देश की प्रगति का सबसे बड़ा रोड़ा है। हम दृढ़ संकल्पित हैं कि मार्च तक इस समस्या से निजात पा ली जाएगी।” यह बयान केंद्र सरकार की कठोर नीति और समस्या के समाधान के लिए उठाए गए कदमों का संकेत देता है।
नक्सलवाद मुख्य रूप से देश के दूरदराज और पिछड़े इलाकों में सामाजिक अशांति, हिंसा और अस्थिरता फैलाता है, जिससे वहां के लोगों का विकास बाधित होता है। मोदी सरकार का लक्ष्य है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा दिया जाए।
सरकार ने सुरक्षा बलों को सशक्त किया है और विकास परियोजनाओं के माध्यम से इन क्षेत्रों में बेहतर जीवनशैली सुनिश्चित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। न केवल सुरक्षा बल, बल्कि स्थानीय समुदाय के साथ संवाद और समझौते के जरिए स्थायी समाधान की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
अमित शाह ने कहा, “हम न केवल नक्सलवाद को खत्म करेंगे, बल्कि इन इलाकों के लोगों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करेंगे ताकि वे समाज का हिस्सा बन सकें। यह प्रयास देश की सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।”
विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा केंद्र सरकार की दृढ़ नीयत को दर्शाती है कि वह देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी। साथ ही यह दूर-दराज के इलाकों में विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।
हालांकि, नक्सलवाद खत्म करना आसान नहीं है। इसके लिए केवल सुरक्षा बलों की कार्रवाई ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास भी जरूरी है। मोदी सरकार इन तीनों क्षेत्रों में कार्य कर रही है, जिससे मार्च तक नक्सलवाद समाप्त होने की उम्मीद बढ़ गई है।
अतः अमित शाह की यह घोषणा मोदी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, जो देश की एक पुरानी समस्या का स्थायी समाधान प्रदान कर सकेगी।