पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज़ हो चुकी है। सियासी बयानबाज़ियों का दौर शुरू हो गया है, और हर पार्टी अपनी रणनीति को लेकर मैदान में उतर चुकी है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान राजनीतिक हलकों में सुर्खियों में है। उन्होंने शुक्रवार को आत्मविश्वास भरे लहजे में कहा,
“2010 में जेडीयू और बीजेपी ने मिलकर 206 सीटें जीती थीं, इस बार उससे भी ज़्यादा जीतेंगे।”
गिरिराज सिंह ने दावा किया कि इस बार एनडीए विकास, स्थिरता और नेतृत्व की मज़बूती के दम पर मैदान में उतर रहा है। उनके अनुसार, “हमारे पास ‘नেতा’ भी है, ‘नेतृत्व’ भी है और एक साफ़-सुथरा कार्यक्रम भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रशासनिक अनुभव के साथ बिहार आगे बढ़ेगा।”
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उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल) के पास न दिशा है, न भरोसा। तेजस्वी यादव अपने ही साथियों का विश्वास नहीं जीत पाए हैं। वो जिन नेताओं के साथ बैठे हैं, वे भी उन्हें नेता नहीं मानते। इस गठबंधन की स्थिति ऐसी है कि ‘दिल के टुकड़े हज़ार हुए, कोई यहाँ गिरे, कोई वहाँ गिरे।’”
गिरिराज सिंह ने तंज कसते हुए कहा, “वे चार दर्जन सीटों पर आपस में भिड़ रहे हैं। जनता देख रही है कि महागठबंधन दरअसल ‘ठगबंधन’ है — एक ऐसा गठबंधन जो जनता को धोखा देकर सत्ता में आना चाहता है।”
उन्होंने आगे कहा, “बिहार की जनता अब जाति और नारे की राजनीति से आगे निकल चुकी है। लोग काम देख रहे हैं, विकास देख रहे हैं। मोदी-नीतीश की जोड़ी ने बिहार को सड़क, बिजली, शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में नई दिशा दी है। इस बार जनता जाति नहीं, काम के नाम पर वोट देगी।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गिरिराज सिंह का यह बयान सिर्फ़ आत्मविश्वास नहीं, बल्कि यह संदेश भी देता है कि एनडीए पूरी तरह एकजुट होकर मैदान में उतर चुका है। 2020 के चुनावों की तुलना में इस बार भाजपा-जेडीयू के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिल रहा है।
दूसरी ओर, महागठबंधन के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों में असहमति है। कई सीटों पर एक ही गठबंधन के उम्मीदवार आपस में भिड़ रहे हैं। यह अंदरूनी कलह जमीनी स्तर पर भी असर डाल रही है।
आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने हालांकि पलटवार करते हुए कहा, “भाजपा और जेडीयू अपनी हार को भांप चुकी हैं, इसलिए ऐसे बयान दे रही हैं। जनता अब उनके झांसे में नहीं आने वाली।” लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि महागठबंधन की अंदरूनी फूट बीजेपी-जेडीयू के लिए बड़ा फ़ायदा साबित हो सकती है।
गिरिराज सिंह ने अपने बयान के अंत में कहा, “जनता सब जानती है। जो जनता को धोखा देगा, उसे जवाब ज़रूर मिलेगा। बिहार में ठगबंधन का अंत तय है। विकास की राजनीति ही जीतेगी।”
बिहार की राजनीति में इस बयान ने नई हलचल पैदा कर दी है। एनडीए आत्मविश्वास से भरा नज़र आ रहा है, जबकि महागठबंधन अपने ही अंतर्विरोधों से जूझ रहा है। आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता विकास की राजनीति को आगे बढ़ाती है या विरोधी खेमे की वापसी का रास्ता खोलती है।