29 अगस्त 2025 को पूरे देश में राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जा रहा है। हर साल की तरह इस दिन भारत के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिनका जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था। भारतीय हॉकी के स्वर्ण युग के स्तंभ ध्यानचंद सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि प्रेरणा के प्रतीक हैं। उनकी जयंती को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Naredra Modi) ने भारत को खेल उत्कृष्टता का केंद्र बनाने का संकल्प दोहराया।
इस वर्ष (2025) के राष्ट्रीय खेल दिवस की थीम है – “एक घंटा खेल के मैदान में”। यह पहल केंद्रीय खेल मंत्रालय और फिट इंडिया मूवमेंट के अंतर्गत की गई है, जिसमें 29 अगस्त से 31 अगस्त तक देशभर में विभिन्न प्रकार के खेल, फिटनेस और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य है – आम जनता में शारीरिक गतिविधि और खेलों के प्रति रुचि बढ़ाना।
हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह में देश के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्रदान किए गए। इनमें शामिल हैं –
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (पूर्व में राजीव गांधी खेल रत्न)
अर्जुन पुरस्कार
द्रोणाचार्य पुरस्कार (श्रेष्ठ कोचों के लिए)
ध्यानचंद पुरस्कार (आजीवन योगदान के लिए)
ये खिलाड़ी और कोच भारतीय खेल जगत का गर्व हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक भी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “मेजर ध्यानचंद जी को सादर नमन, जिनकी उत्कृष्टता पीढ़ी दर पीढ़ी हमें प्रेरणा देती है। पिछले एक दशक में भारत के खेल जगत में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। हमारी सरकार खिलाड़ियों को सहयोग, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण के माध्यम से भारत को वैश्विक खेल उत्कृष्टता का केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है।”
Greetings on National Sports Day! On this special occasion, we pay tribute to Major Dhyan Chand Ji, whose excellence continues to inspire generations.
In the last decade, India’s sporting landscape has undergone a remarkable transformation. From grassroots programmes that…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 29, 2025
मेजर ध्यानचंद की अद्वितीय प्रतिभा और नेतृत्व में भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में हॉकी में स्वर्ण पदक जीते थे। उनके खेल का प्रभाव इतना गहरा था कि उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा। मैदान में उनकी मौजूदगी ही विरोधियों के लिए चिंता का कारण बन जाती थी।