ब्रोंको टेस्ट में कांप रहे गिल-सिराज! चेतावनी दी पूर्व प्रोटिया कप्तान ने

भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) की फिटनेस को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए BCCI ने एक नया और चुनौतीपूर्ण टेस्ट शुरू किया…

AB de Villiers warning to Indian Cricket Team for fitness challenge Bronco Test ahead Asia Cup

भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) की फिटनेस को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए BCCI ने एक नया और चुनौतीपूर्ण टेस्ट शुरू किया है — ब्रोंको टेस्ट (Bronco Test)। पहले से प्रचलित ‘यो-यो टेस्ट’ और ‘2 किलोमीटर टाइम ट्रायल’ के साथ अब यह नया टेस्ट भी खिलाड़ियों की फिटनेस जांचने का मानक बन रहा है। इस टेस्ट को लेकर क्रिकेट जगत में काफी चर्चा और चिंता देखी जा रही है।

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान एबी डिविलियर्स (AB de Villiers) ने ब्रोंको टेस्ट को “सबसे भयावह फिटनेस टेस्ट” बताया है। उनके मुताबिक, इस टेस्ट में शारीरिक ही नहीं, मानसिक सहनशक्ति की भी कड़ी परीक्षा होती है। उन्होंने तो यहां तक कहा, “इसमें तो जान ही निकल जाती है!”

यह टेस्ट मुख्य रूप से रग्बी खिलाड़ियों के लिए डिजाइन किया गया था। इसमें खिलाड़ी को बिना किसी ब्रेक के एक खास दूरी तक दौड़ना होता है— पहले 20 मीटर, फिर 40 मीटर, और अंत में 60 मीटर। ये तीनों मिलकर एक सेट बनाते हैं। खिलाड़ियों को कुल 5 सेट पूरे करने होते हैं, और ये सब करना होता है 6 मिनट के भीतर।

भारत के नए स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले राउ (Adrian Le Roux) ने इस टेस्ट को टीम इंडिया की ट्रेनिंग में शामिल किया है। उनका मानना है कि खासकर तेज गेंदबाजों को ज्यादा रनिंग की जरूरत है ताकि फिटनेस लेवल और बेहतर हो।

अपने यूट्यूब चैनल पर एबी डिविलियर्स ने बताया, “मैंने पहली बार 16 साल की उम्र में यह टेस्ट दिया था। जब टीम ने मुझे इसके बारे में बताया, तो मैं समझ ही नहीं पाया कि यह क्या है। बाद में जब समझा, तो डर ही गया।”

उन्होंने कहा कि उन्होंने यह टेस्ट प्रिटोरिया के सुपरस्पोर्ट पार्क में दक्षिण अफ्रीका की सर्द सुबहों में दिया था, जहां समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1500 मीटर है और वहां ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम होती है। डिविलियर्स के मुताबिक, इस टेस्ट में सिर्फ स्टैमिना ही नहीं, रिकवरी क्षमता भी परखी जाती है, जो मैच के दौरान बेहद जरूरी होती है। दक्षिण अफ्रीका में इस टेस्ट को “स्प्रिंट रिपीट एबिलिटी टेस्ट” के नाम से जाना जाता है।

भारतीय टीम के सीनियर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इस अचानक बदलाव पर चिंता जाहिर की है। अपने यूट्यूब चैनल ‘ऐश की बात’ में उन्होंने कहा, “जब ट्रेनर बदलता है, तो ट्रेनिंग के तरीके भी बदलते हैं। ऐसे बदलावों से खिलाड़ियों को दिक्कत होती है और इंजरी का खतरा भी बढ़ जाता है।”

अश्विन के अनुसार, लंबे समय से एक रूटीन को फॉलो करने के बाद अचानक नया फिटनेस पैटर्न अपनाना खिलाड़ियों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से थका देने वाला हो सकता है।

क्या रोहित को बाहर करने की तैयारी?

ब्रोंको टेस्ट के लागू होने के साथ ही यह चर्चा तेज हो गई है कि कहीं यह कदम 2027 वर्ल्ड कप की तैयारी के तहत तो नहीं लिया गया? कुछ रिपोर्ट्स में तो यहां तक कहा जा रहा है कि रोहित शर्मा जैसे सीनियर खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने के लिए यह टेस्ट एक सॉफ्ट हथियार बन सकता है।

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ऐसे फिटनेस टेस्ट पास करना सीनियर खिलाड़ियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में चयनकर्ताओं को टीम से बाहर करने के लिए एक ठोस कारण मिल सकता है।

ब्रोंको टेस्ट ने भारतीय क्रिकेट में फिटनेस की परिभाषा बदल दी है। जहां एक तरफ इसे खिलाड़ियों की क्षमता जांचने का एक आधुनिक पैमाना माना जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई पूर्व खिलाड़ियों ने इसे अत्यधिक कठिन और खतरनाक भी बताया है।

अब देखना होगा कि गिल, सिराज, बुमराह जैसे युवा खिलाड़ी इस चुनौती को कैसे पार करते हैं, और क्या यह टेस्ट भारतीय क्रिकेट की फिटनेस क्रांति में कोई अहम भूमिका निभा पाएगा।